नवरात्रि का मूल उद्देश्य

decorative items दुर्गा माता के नो रूप

पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं। हिमालय का एक नाम शैलेंद्र या शैल भी है।

नवरात्रि का इतिहास 

एक कथा के अनुसार, माता भगवती देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया उसके बाद नवमी की रात्रि को उसका वध किया. उस समय से देवी माता को 'महिषासुरमर्दिनी' के नाम से जाना जाता है. तभी से मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित नवरात्रि का व्रत करते हुए इनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है

पूजा किस लिए की जाती हे 

नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है। 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है। नौंवा दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति जागृत होती है।

व्रत का मूल उद्देश्य


नवरात्रि व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। वस्तुत: नवरात्र अंत:शुद्धि का महापर्व है। आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है। ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता ह

नवरात्रि का मतलब


 नवरात्रि का मतलब ही नौ रात होती है. नौ दिन माता रानी के अलग- अलग स्वरूपों की पूजा के लिए मनाए जाते हैं. मां दुर्गा का हर रूप एक अलग मतलब रखता है और इन नौ के नौ रूप का अर्थ है शक्ति और मजबूती

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